भारतीय प्रागैतिहासिक गुफा चित्र
भारतीय प्रागैतिहासिक गुफा चित्र
प्रागैतिहासिक काल का सीधा सा अर्थ है इतिहास से पहले का युग।
हमने 'भारतीय प्रागैतिहासिक काल' नाम के ब्लॉग में इस युग की विभिन्न विशेषताओं को जाना है।
भारत में पहली बार प्रागैतिहासिक भित्तिचित्रों से, १८८० ई. में आर्चीबाल्ड कार्लाइल और जॉन कॉकबर्न ने कैमरून (मिर्जापुर) पहाड़ी के चित्रों को उजागर किया।
इसके अतिरिक्त मध्य भारत- भारत के पूर्व इतिहास और सांस्कृतिक विरासत से भरा है। इनमें से कुछ आदिवासी कला से परिपूर्ण है । मध्य भारत मोटे तौर पर मध्य प्रदेश, तेलंगाना और उड़ीसा राज्यों का गठन करता है और यह भारत की बड़ी आदिवासी आबादी को वहन करता है। वे सदियों से मुख्यधारा की आबादी से बड़े पैमाने पर कटे हुए थे। बाद के वैदिक काल के दौरान, यह अवंती, मल्ल और कलिंग जनपद का एक हिस्सा था। बौद्ध धर्मग्रंथों के अनुसार, मल्ला गणराज्य जनपद था।
आइये अब हम एक - एक करके विभिन्न शैलाश्रयों के बारे में एवं उनकी विशेषताओं के बारे में जानते है -
मध्य प्रदेश-
भीमबेटका-
* भीमबेटका रॉक आश्रयों पर गुफा चित्र मध्य भारत में मध्य प्रदेश राज्य में एक पुरातात्विक स्थल है।
* भीमबेटका - भारतीय उपमहाद्वीप और पाषाण युग के निवास स्थान एवं मानव जीवन के शुरुआती निशानों को दिखाता है।
* भीमबेटका एक यूनेस्को की विश्व धरोहर है जिसमें सात पहाड़ियाँ शामिल हैं और ६०० गुफाएं हैं जोकि १0 किलोमीटर में वितरित हैं।
* यह रायसेन जिला में भोपाल के दक्षिण-पूर्व में ४० किलोमीटर दूर स्थित है।
* विद्वानों के अनुसार यहाँ बने चित्र ८००० ई. पू. से लेकर १५०० ई. पू. तक के हैं।
* एक सींग वाले सूअर के शिकार का चित्र है।
* यहाँ के चित्रों में लाल , सफ़ेद , काले रंगों का प्रयोग हुआ है।
* इसकी खोज प्रो. वाणकर ने की थी।
पंचमढ़ी -
* पंचमढ़ी में ५० के लगभग गुफाएं हैं।
* इस गुफा को प्रकाश में लाने का श्रेय डी. एच. गार्डन को जाता है।
* यहाँ कई स्तरों में चित्र प्राप्त हुए हैं।
* यहाँ महादेव पर्वत के चारों ओर अवस्थित सोनभद्रा , महादेवबाज़ार , बनियाबेरी , मारोदेव , आदि अनेक स्थानों में शिलाचित्र प्राप्त हुए हैं।
इन सब के अतिरिक्त मध्यप्रदेश में सिंहनपुर , मंदसौर ,पहाड़गढ़, रायगढ़ आदि प्रमुख शैलाश्रय हैं।
उत्तरप्रदेश -
मिर्जापुर -
* उत्तरप्रदेश के पूर्वीभाग में मैसूर पर्वत शृंखला के अंतर्गत मिर्जापुर जिले में १०० से अधिक गुफाएं हैं।
* यहाँ के प्रमुख केंद्र लिखुनिया, भसोली, लोहड़ी, कोहबर, विजयगढ़ और अहिरोरा हैं।
* यहाँ के अधिकांश चित्र गेरू , हिरोंजी या कोयले से बनाये गए हैं।
* यहाँ की प्रसिद्ध पेंटिंग भाले का उपयोग कर संभार का शिकार करते हुए दृश्य है । * बारासिंघा और जंगली सुअर का शिकार करते हुए का दृश्य भी अंकित है।
* इन सबके अतिरिक्त कर्नाटक में गुफा चित्र हिरगुड्डा में पाए जाते हैं जो बादामी के पास है।
* ओडिशा पूर्वी भारत में रॉक कला का सबसे समृद्ध भंडार है।
* माणिक पुर , बिहार और दक्षिण भारत का बेलारी क्षेत्र उत्तर पाषाण काल के मानव का सबसे प्रमुख केंद्र था
* प्रागैतिहासिक काल के चित्र रेखा प्रधान थे।
* विशेष रूप से आखेट का चित्रण देखने को मिलता है।
* महिष , गेंडा , हाथी , घोडा , बारहसिंघा सूअर आदि का चित्रण देखने को मिलता है।
इसप्रकार हमने प्रागैतिहासिक काल के चित्रों के विषय में मुख्य बिंदुओं को संक्षेप जाना।
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