अजंता भाग २
अजंता भाग २
अजंता की चित्र कला से तत्कालीन संस्कृति, समाज और धार्मिकता की एक गहन समझ प्राप्त होती है । दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 5 वीं शताब्दी के बीच के समय के भारत के विषय में विभिन्न विद्वानों ने गहन अध्ययन, समाजशास्त्र , इतिहास और दक्षिण एशिया के नृविज्ञान के दृष्टिकोण की विभिन्न व्याख्याएँ की है। यहाँ पोशाक, गहने, संबंध एवं सामाजिक गतिविधियों का और कुलीन वर्ग की जीवन शैली का प्रदर्शन किया गया है, और आम आदमी, भिक्षुओं और ऋषि की वेशभूषा को भी दर्शाया गया है।
अजंता के एवं उनमें वर्णित भगवान् बुद्ध से सम्बंधित चित्रों की कहानियों को हमने पिछले ब्लॉग में जाना यदि आपने मेरा वो ब्लॉग नहीं पढ़ा है तो कृपया पहले उसे पढ़ लें। लिंक -
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अब हम अजंता से सम्बंधित मुख्य विन्दुओं को जान लेते हैं -
* अजंता की गुफायें भारत में महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद शहर से 106 कि॰मी॰ दूर स्थित हैं । ये तकरीबन 29 चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। एवं यहाँ ३० गुफाएं हैं जो बघोर नदी के किनारे स्थित हैं।
* अंतिम गुफा 15ए को 1956 में ही खोजा गया और अभी तक इसे संख्यित नहीं किया गया है।
* अजन्ता के चित्रों की मुख्य विषय-वस्तु बौद्ध धर्म से सम्बंधित है।
* ये सभी गुफाएँ लगभग 1100 वर्षों में बनकर तैयार हुईँ अतः इसके निर्माण में विविध राजवंशों ने योगदान दिया, जिसमेँ सर्वोत्तम कार्य गुप्त एवं वाकाटक वंश के समय में हुआ।
* बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी वन में ईसा पूर्व ५६३ को हुआ एवं मृत्यु ४८३ ईसा पूर्व ८० वर्ष की आयु में कुशीनगर, भारत में हुई।
* गौतम बुद्ध का उपदेश था ''चरत मिख्यते बहुजन हिताय बहुजन सुखाय" जोकि वेदों में भी वर्णित है।
अजंता की गुफाएं मुख्य रूप से जातक कथाएँ का वर्णन करती हैं जो कि बुद्ध के पिछले जन्मों का वर्णन करती हैं।
* अजंता की गुफा संख्या - १,२,९,१०,१६,१७ में ही चित्रों के अवशेष बचे हैं ।
* अजंता की गुफा संख्या - १, २, १६ हीनयान से सम्बंधित हैं बाकि गुफाएं महायान से सम्बंधित हैं।
* अजंता की गुफा संख्या - ९, १०, १९, २६, २९ चैत्य ( पूजा ग्रह ) गुफाएं हैं बाकि विहार (निवास स्थान ) हैं। संघाराम हैं।
* अजंता की गुफा संख्या - ९, १० - २०० से ३०० ईसा , १६, १७ - ३५० - ५०० ईसा , १,२- ६२६ से ६२८ ईसा के समय बनाई गई थीं।
* अजंता की गुफाओं चित्रों में तीन प्रकार के चित्रों का वर्णन है - वर्णात्मक , रूपभेदिक एवं अलंकारिक।
* अजंता की गुफाओं की खोज आर्मी ऑफिसर जॉन स्मिथ व उनके दल ने सन् १८१९ में की थी। वे यहां शिकार करने आए थे।
* पहली गुफाएं सातवाहनके समय में बनाई गई एवं बाद की गुफाएं गुप्त काल के कलात्मक प्रभाव को दर्शाती हैं कुछ गुफाएं वाकाटक शाशन काल में भी बनी।
* अजंता के चित्र सूखी सतह पर बनाए गए थे इसकी तकनीक को फ्रेस्को एवं माध्यम को टेम्परा कहा जाता है।
* अजंता की गुफा संख्या २६ में महापारिनिर्माण की मूर्ति है।
* लेडी हरिंघम की अध्यक्षता में असित कुमार हालदार एवं नन्दलालबोस ने १९१० इसकी प्रतिलिपियाँ बनाई थीं।
यहां मैं प्रश्न पात्र की दृष्टि से महत्वपूर्ण गुफाचित्रों का संक्षेप में वर्णन प्रस्तुत कर रही हूँ।
अब हम इनके चित्रों को क्रम से जान लेते हैं -
गुफा संख्या १- इस गुफा में सर्वाधिक प्रसिद्ध चित्र पद्मपाणि है जिसमे बुद्ध ने नीलकमल हाथ में लिया हुआ है। इसके अलावा वज्रपाणि , षिविजातक कथा , मारविजय , नागराज की सभा , चालुक्य पुलकेशिन द्वितीय के दरवार में ईरानी राजदूत , चीटियों के पहाड़ पर साँप की तपस्या , नन्द सुंदरी की कथा , बैलों की लड़ाई , बोधी सत्व , ईरानी दैत्य , काली राजकुमारी आदि हैं।
गुफा संख्या २ - सुनहरे मृगों का धर्मोपदेश , एक हजार बुद्ध के चित्र ,अजातशत्रु की पत्नी के माँग में सिन्दूर , सर्वनाश , माया देवी का स्वप्न , झूला झूलती राजकुमारी , इंद्रावती की कथा आदि चित्र हैं।
गुफा संख्या १० - यह भी एक चैत्य है एवं यहां छ्दंत जातक का प्रसिद्ध चित्र अंकित है जोकि गुफा संख्या १७ में पुनः चित्रित किया गया है। एक अन्य चित्र श्याम जातक भी इसी गुफा में चित्रित है जिसका कथानक श्रवण कुमार की कथा से मिलता जुलता है। एवं बोधिसत्व का भी चित्र है जिनका दायां हाथ कल्याण एवं बायां हाथ आशीर्वाद मुद्रा में है।
गुफा संख्या १६ - यहाँ मध्य में बुद्ध की प्रलंबपाद मुद्रा में मूर्ति बानी है। इस गुफा में सुजाता की खीर , नन्द दीक्षा , एवं मरणासन्न राजकुमारी का चित्र भी अंकित है।
गुफा संख्या १७ - इस गुफा का सर्वाधिक प्रसिद्ध चित्र राहुल समर्पण है जिसे माता पुत्र के चित्र के नाम से भी जाना जाता है। इसी गुफा में मृगजातक एवं सिंहलावदान का भी चित्र है।
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